गुजरात में हारकर भी जीत गई कांग्रेस | Sambhal News
Sambhal News: ( author's personal views)
After many years, such election results have come to Gujarat. They can be analyzed in two ways.
The first is that even by winning the BJP, it was defeated and the Congress won by defeating it.
Secondly, BJP is going to form government in Gujarat once again after 22 years and it is going to match the Left's record in West Bengal. In addition, BJP came with 49 percent votes.
People will define these results in their own way.
If we look at the big picture, according to these results, BJP is a French runner under Narendra Modi's leadership in 2019, but the 2014 Congress is moving towards becoming a more powerful Opposition.
Now people will not be able to make fun of Rahul
Rahul Gandhi, who used to make fun of Pappu, is now closed on the ground. Political pundits and their opponents will also have to stop joking somewhere because after such a thing, those things become counter productive.
If you make a lot of ridicule, then it becomes an under-dog. After the under dog, his popularity increases and people are sympathetic.
Overall, if such an environment remains, then in 2019 perhaps Narendra Modi will be the Prime Minister but not 282 seats.
And once again the Congress will be in opposition, but this time with the status of opposition parties. 44 may not be with figures of three digits, then there is a possibility of an interesting politics.
Gujarat, final results of Himachal election
Is this the Congress's weakness?
If you look at this election from BJP's point of view, you will find that whatever their seats may be till the final results, but the vote share was a little less than 48 percent. The increase in percentage is increased.
They can say that despite their anti-wave, their vote share has increased. But they will not say that the claim of 150 seats, Amit Shah and Narendra Modi sweat in the election and they got reduced to 99 seats.
कांग्रेस की वापसी शुरू नहीं हुई है लेकिन कांग्रेस की जो लुटिया डूबी हुई थी वो थोड़ी उबरती हुई दिखी है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार होने की संभावना बढ़ी है.
गुजरात चुनावः इन नेताओं और सीटों पर हैं नज़र
'थोड़ी गरिमा बनाकर रखनी चाहिए'
जनेऊ पर कांग्रेस ने कहा- हिंदू लड़का क्या मंदिर नहीं जाएगा?
कांग्रेस के मुताबिक़, बीजेपी के नेता इतने परेशान हो गए कि देश के प्रधानमंत्री को जनसभा में पूर्व प्रधानमंत्री को देशद्रोही कहना पड़ा. वैसे भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.
इस चुनाव में प्रचार का स्तर बीजेपी ने ज़्यादा गिराया न कि कांग्रेस ने. कांग्रेस ने जातीय राजनीति की और जातीय राजनीति तो इस देश के कण-कण में समाई हुई है. लेकिन प्रचार का स्तर प्रधानमंत्री ने गिराया.
अगर कोई और नेता बीजेपी में इस तरह की अनर्गल बात कहता तो इतनी बात नहीं होती, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अहमद पटेल को पाकिस्तानी लोग मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
मतलब इरादा साफ़ तौर पर हिंदू-मुस्लिम में धुव्रीकरण कराने का था. मोदी का बयान थोड़ा सा ग़ैर-ज़िम्मेदाराना था जो कि आने वाले दिनों की राजनीति के लिए अच्छा आगाज़ नहीं है.
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की पॉलिटिक्स साफ़ तौर पर ये है कि देश को कैसे आगे बढ़ाना है, किस दिशा में बढ़ाना है. और वह सोचते हैं कि यह तभी संभव होगा जब वह चुनाव जीतेंगे. इसलिए चुनाव जीतने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं.
हालांकि चुनाव जीतने के लिए लोगों का अलग-अलग मत हो सकता है. कुछ लोगों का मत होगा कि प्रधानमंत्री को थोड़ी गरिमा बनाकर रखनी चाहिए.
गुजरात नतीजों के दिन हार्दिक के घर पसरा सन्नाटा
हार्दिक पटेल के'ईवीएम' पर सवाल
ईवीएम से छेड़छाड़ वाली बातों को स्वीकार करना कठिन है. पुराने ज़माने में भी जब वोट पड़ते थे तो कई इलाकों में बूथ कैप्चरिंग हो जाती थी.
इससे उन इलाकों में बूथ पर वोट एक तरह से प्रभावित होता था लेकिन फिर भी चुनावी नतीजे प्रभावित नहीं होते थे.
मतलब कोई भी चुनाव ऐसा नहीं हुआ कि बीजेपी रिगिंग से जीती है या अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी रिगिंग से वापस आईं.
छोटी-मोटी गड़बड़ी जानबूझकर या ग़लती से होती रही हैं और होती रहेगी. लेकिन भारतीय लोकतंत्र की ये खास बात है कि जो नतीजा आता है, वो जनता की सोच का प्रतिनिधित्व करता है.
गुजरात चुनाव: आख़िर पटेलों ने वोट किसे दिया?
तिकड़ी का क्या होगा?
निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने वाले जिग्नेश मेवाणी को लेकर लोगों का मानना है कि वह वामपंथियों के साथ मिल जाएंगे तो कांग्रेस को छोड़ देंगे. अब वामपंथी क्या करेंगे, कांग्रेस के साथ रहेंगे या नहीं रहेंगे, ये देखने की बात है.
अल्पेश ठाकोर कांग्रेस के टिकट पर जीते हैं, वह कांग्रेस के साथ रहेंगे. हार्दिक पटेल के साथ बड़ी मुश्किल होगी. कांग्रेस के लिए शायद चुनाव हारना और एक अच्छा विपक्ष बनना बेहतर नतीजा है क्योंकि अगर वो जीत जाते तो 90-92 या 95 सीट लाकर सरकार कैसे चलाते? पटेलों के साथ जो वादा किया था वो पूरा कैसे करते?
उनकी स्थिति बहुत ही अटपटी होती. इससे बेहतर यह है कि कांग्रेस मज़बूत विपक्ष की तरह उभरे और उसका अगला लक्ष्य वापस सत्ता में आना नहीं हो सकता.
इस चुनाव के नतीजे बताते हैं कि वह मज़बूत विपक्ष की ओर बढ़ रहा है और जो एकछत्र राज मोदी और बीजेपी का था उसमें कुछ कमी होगी. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा होगा.
गुजरात चुनावः मुस्लिम उम्मीदवार जिन्होंने जीत दर्ज की
कांग्रेस मुक्त भारत?
बीजेपी ने जिस मुक्ति का नारा दिया था, वह पूरा होता तो कांग्रेस को 42 फ़ीसदी वोट कैसे मिल जाते? यह ज़ुमलेबाज़ी से ज़्यादा कुछ नहीं लगता.
Rahul's tenure is going to be tough. The basic difference between Congress and BJP is its organizational structure.
Even if the BJP had 25 percent organizational structure, then the election results would have been reversed.
Congress is running with the support of people. She has a lack of ground workers. If Rahul is successful, then he will have to do politics for 24 hours like Prime Minister Modi and Amit Shah.
There will be no ideology and sensitivities. Rahul Gandhi will be 54 years old in 2024 and Modi will be about 74, hence his time will start after 2024. But still their path is difficult.
Prime Minister Narendra Modi is the most successful leader of the strategy. But nothing is impossible and this scenario can also change.
After many years, such election results have come to Gujarat. They can be analyzed in two ways.
The first is that even by winning the BJP, it was defeated and the Congress won by defeating it.
Secondly, BJP is going to form government in Gujarat once again after 22 years and it is going to match the Left's record in West Bengal. In addition, BJP came with 49 percent votes.
People will define these results in their own way.
If we look at the big picture, according to these results, BJP is a French runner under Narendra Modi's leadership in 2019, but the 2014 Congress is moving towards becoming a more powerful Opposition.
Now people will not be able to make fun of Rahul
Rahul Gandhi, who used to make fun of Pappu, is now closed on the ground. Political pundits and their opponents will also have to stop joking somewhere because after such a thing, those things become counter productive.
If you make a lot of ridicule, then it becomes an under-dog. After the under dog, his popularity increases and people are sympathetic.
Overall, if such an environment remains, then in 2019 perhaps Narendra Modi will be the Prime Minister but not 282 seats.
And once again the Congress will be in opposition, but this time with the status of opposition parties. 44 may not be with figures of three digits, then there is a possibility of an interesting politics.
Gujarat, final results of Himachal election
Is this the Congress's weakness?
If you look at this election from BJP's point of view, you will find that whatever their seats may be till the final results, but the vote share was a little less than 48 percent. The increase in percentage is increased.
They can say that despite their anti-wave, their vote share has increased. But they will not say that the claim of 150 seats, Amit Shah and Narendra Modi sweat in the election and they got reduced to 99 seats.
कांग्रेस की वापसी शुरू नहीं हुई है लेकिन कांग्रेस की जो लुटिया डूबी हुई थी वो थोड़ी उबरती हुई दिखी है. कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक नई ऊर्जा का संचार होने की संभावना बढ़ी है.
गुजरात चुनावः इन नेताओं और सीटों पर हैं नज़र
'थोड़ी गरिमा बनाकर रखनी चाहिए'
जनेऊ पर कांग्रेस ने कहा- हिंदू लड़का क्या मंदिर नहीं जाएगा?
कांग्रेस के मुताबिक़, बीजेपी के नेता इतने परेशान हो गए कि देश के प्रधानमंत्री को जनसभा में पूर्व प्रधानमंत्री को देशद्रोही कहना पड़ा. वैसे भारत के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.
इस चुनाव में प्रचार का स्तर बीजेपी ने ज़्यादा गिराया न कि कांग्रेस ने. कांग्रेस ने जातीय राजनीति की और जातीय राजनीति तो इस देश के कण-कण में समाई हुई है. लेकिन प्रचार का स्तर प्रधानमंत्री ने गिराया.
अगर कोई और नेता बीजेपी में इस तरह की अनर्गल बात कहता तो इतनी बात नहीं होती, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अहमद पटेल को पाकिस्तानी लोग मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
मतलब इरादा साफ़ तौर पर हिंदू-मुस्लिम में धुव्रीकरण कराने का था. मोदी का बयान थोड़ा सा ग़ैर-ज़िम्मेदाराना था जो कि आने वाले दिनों की राजनीति के लिए अच्छा आगाज़ नहीं है.
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की पॉलिटिक्स साफ़ तौर पर ये है कि देश को कैसे आगे बढ़ाना है, किस दिशा में बढ़ाना है. और वह सोचते हैं कि यह तभी संभव होगा जब वह चुनाव जीतेंगे. इसलिए चुनाव जीतने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं.
हालांकि चुनाव जीतने के लिए लोगों का अलग-अलग मत हो सकता है. कुछ लोगों का मत होगा कि प्रधानमंत्री को थोड़ी गरिमा बनाकर रखनी चाहिए.
गुजरात नतीजों के दिन हार्दिक के घर पसरा सन्नाटा
हार्दिक पटेल के'ईवीएम' पर सवाल
ईवीएम से छेड़छाड़ वाली बातों को स्वीकार करना कठिन है. पुराने ज़माने में भी जब वोट पड़ते थे तो कई इलाकों में बूथ कैप्चरिंग हो जाती थी.
इससे उन इलाकों में बूथ पर वोट एक तरह से प्रभावित होता था लेकिन फिर भी चुनावी नतीजे प्रभावित नहीं होते थे.
मतलब कोई भी चुनाव ऐसा नहीं हुआ कि बीजेपी रिगिंग से जीती है या अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी रिगिंग से वापस आईं.
छोटी-मोटी गड़बड़ी जानबूझकर या ग़लती से होती रही हैं और होती रहेगी. लेकिन भारतीय लोकतंत्र की ये खास बात है कि जो नतीजा आता है, वो जनता की सोच का प्रतिनिधित्व करता है.
गुजरात चुनाव: आख़िर पटेलों ने वोट किसे दिया?
तिकड़ी का क्या होगा?
निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ने वाले जिग्नेश मेवाणी को लेकर लोगों का मानना है कि वह वामपंथियों के साथ मिल जाएंगे तो कांग्रेस को छोड़ देंगे. अब वामपंथी क्या करेंगे, कांग्रेस के साथ रहेंगे या नहीं रहेंगे, ये देखने की बात है.
अल्पेश ठाकोर कांग्रेस के टिकट पर जीते हैं, वह कांग्रेस के साथ रहेंगे. हार्दिक पटेल के साथ बड़ी मुश्किल होगी. कांग्रेस के लिए शायद चुनाव हारना और एक अच्छा विपक्ष बनना बेहतर नतीजा है क्योंकि अगर वो जीत जाते तो 90-92 या 95 सीट लाकर सरकार कैसे चलाते? पटेलों के साथ जो वादा किया था वो पूरा कैसे करते?
उनकी स्थिति बहुत ही अटपटी होती. इससे बेहतर यह है कि कांग्रेस मज़बूत विपक्ष की तरह उभरे और उसका अगला लक्ष्य वापस सत्ता में आना नहीं हो सकता.
इस चुनाव के नतीजे बताते हैं कि वह मज़बूत विपक्ष की ओर बढ़ रहा है और जो एकछत्र राज मोदी और बीजेपी का था उसमें कुछ कमी होगी. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा होगा.
गुजरात चुनावः मुस्लिम उम्मीदवार जिन्होंने जीत दर्ज की
कांग्रेस मुक्त भारत?
बीजेपी ने जिस मुक्ति का नारा दिया था, वह पूरा होता तो कांग्रेस को 42 फ़ीसदी वोट कैसे मिल जाते? यह ज़ुमलेबाज़ी से ज़्यादा कुछ नहीं लगता.
Rahul's tenure is going to be tough. The basic difference between Congress and BJP is its organizational structure.
Even if the BJP had 25 percent organizational structure, then the election results would have been reversed.
Congress is running with the support of people. She has a lack of ground workers. If Rahul is successful, then he will have to do politics for 24 hours like Prime Minister Modi and Amit Shah.
There will be no ideology and sensitivities. Rahul Gandhi will be 54 years old in 2024 and Modi will be about 74, hence his time will start after 2024. But still their path is difficult.
Prime Minister Narendra Modi is the most successful leader of the strategy. But nothing is impossible and this scenario can also change.