जजों की 'बग़ावत या आपसी रंजिश | Blogger Views
The date of January 12 will be remembered in the judicial history of India. That day was Friday, there was a lukewarm incense in the capital Delhi. Supreme Court Justice J Chelameswar convened a press conference in the lawn of his government bungalow and got mercenary permissions from the social media to the newsroom of the channels.
Justice Ranjan Gogoi, Justice Justice Madan Bhimrao Lokur and Justice Kurien Joseph, along with Justice Chelameswar, were at the peak of the unprecedented press conference.
He questioned the manner in which the Chief Justice of the Press Conference, Deepak Mishra was working. It also raised the issue related to the Supreme Court roster.
It is arguable that the roster of Supreme Court is what makes such a big issue and why its importance is so important?
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Those four judges who question the Chief Justice
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What is the roster and who makes it?
In the Supreme Court, the roster means that the list is recorded in which case which case will go to the bench and when it will be heard.
The Chief Justice will have the right to make the roster and he is called 'Master of Roster'.
सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार मुख्य न्यायाधीश के आदेशानुसार रोस्टर बनाते हैं.
नवंबर 2017 में दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने ये फ़ैसला सुनाया था कि मुख्य न्यायाधीश ही 'मास्टर ऑफ रोस्टर' होंगे.
उस फ़ैसले में यह भी लिखा गया था कि कोई भी जज किसी भी मामले की सुनवाई तब तक नहीं कर सकता जब तक मुख्य न्यायाधीश उसे वो केस न सौंपे.
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रोस्टर का मुद्दा क्यों अहम है?
सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायमूर्तियों के मीडिया के सामने आने के बाद ही रोस्टर का मुद्दा गरमाया.
उन जजों ने कहा कि चीफ़ जस्टिस के पास रोस्टर बनाने का और केसों को जजों को सौंपने का अधिकार है लेकिन वो भी 'बराबरी वालों में पहले है और किसी से ज़्यादा या किसी से कम नहीं है.'
चारों जजों ने चीफ़ जस्टिस के रोस्टर बनाने औऱ जजों के केस सौंपने के तरीके पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, "ऐसे कई मौके हुए हैं जब ऐसे केस जो देश और संस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण थे, उन्हें कुछ चुनिंदा बेंचों में भेजा गया. मुख्य न्यायाधीश के इस कदम का कोई उचित आधार नहीं था."
बीबीसी मराठी से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस पीबी सावंत ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई.
उन्होंने कहा, "मुख्य न्यायाधीश को केस सौंपने का पूरा अधिकार है. किसी भी केस के लिए यह फैसला महत्वपूर्ण होता है. अगर कोई अपनी ताक़त का ग़लत इस्तेमाल करना चाहता है तो वो कर सकता और कोई उसपर सवाल नहीं उठा सकता क्योंकि इससे जुड़ा कोई भी लिखित नियम नहीं है."
जस्टिस सावंत ने भी मुख्य न्यायधीश को एक चिट्ठी लिखकर कहा है कि, "हर केस एक रूटीन केस नहीं होता है. लेकिन कई ऐसे केस संवेदनशील होते हैं जिन्हें के मुख्य न्यायाधीश समेत शीर्ष 5 जजों को सुनना चाहिए."
दूसरे देशों में क्या व्यवस्था है?
There are 25 judges in the Supreme Court of India. All of them are tied in a bench of 2 or more. There are 9 judges in the Supreme Court of America, the case is heard all together.
The UK has 12 judges in the Supreme Court They sit in the bench of 5 or 6 judges.
In both the countries, the Chief Justice has less options to hand over the cases of judges, but the Chief Justice in India has more options. (Source BBC)