आखिर इंसान को पाद क्यों आता है ?
Sambhal News (Blog) In Europe, an aircraft was forced to land in an emergency, because a passenger riding in it repeatedly made the people who went in and out of the house with helplessness.
विमान दुबई से नीदरलैंड्स जा रहा था और हालात इतने बिगड़ गए कि बीच ऑस्ट्रिया में उसे उतारना पड़ा. इसे 'पाद अटैक' का नाम दिया गया है. घटना ट्रांसेविया एयरलाइन की एक फ़्लाइट में हुई.
लेकिन इस ख़बर पर हंसने के अलावा उस यात्री के साथ सहानुभूति भी जताई जानी चाहिए, जिसकी वजह से विमान को उतारना पड़ा.
उस शख़्स ने क्योंकि ऐसा जानबूझकर तो किया नहीं होगा.
लेकिन इसका निदान क्या है? फ़ार्ट क्या है? क्या ये इंसानी काबू में आ सकता है? क्या इसे रोका जा सकता है?
हेल्थलाइन के मुताबिक़ पाद, असल में इंटेस्टाइनल गैस निकालने की प्रक्रिया है जिसके फलस्वरूप खाना पचाया जाता है.
इंसान इसलिए पाद मारता है क्योंकि हमारे शरीर में गैस बढ़ती जाती है और इसके कारण ये रहे:
दिन भर हमारे शरीर में हवा जाती रहती है. कार्बोनेटेड बेवरेज के ज़रिए या फिर चबाने के दौरान भी.
इसका एक कारण छोटी आंत में बैक्टीरिया का ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ जाना भी है और इसकी कई वजह हो सकती हैं जिनमें टाइप 2 डायबिटीज़, सेलिआक, लिवर की बीमारी शामिल हैं.
गैस बनने का एक कारण वो कार्बोहाइड्रेट हैं जो पूरी तरह पच नहीं पाते. ऐसा होता है कि छोटी आंत में मौजूद एंज़ाइम सारा खाना पचा नहीं पाते. जब कम पचा हुआ कार्बोहाइड्रेट कोलोन या मलाशय में पहुंचता है, तो बैक्टीरिया उस खाने को हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है.
ये सभी गैसें कहीं न कहीं तो जाएंगी ही. इनमें से कुछ को इंसानी शरीर सोख लेता है. लेकिन जब इसका बड़ा हिस्सा मलाशय के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो जाता है और कोलोन वॉल पर दबाव बढ़ने लगता है तो पेट में दर्द महसूस होता है या फिर छाती में भी दिक्कत होती है.
ऐसे में पाद इन गैसों को शरीर से बाहर निकालने का तरीक़ा है.
और अगर इस गैस को रोकने की कोशिश की जाए तो क्या होता है?
आम तौर पर इन्हें रोकना नहीं चाहिए. रोकने पर हालांकि ज़्यादा नुकसान भी नहीं होता. लेकिन ये जान लेना चाहिए कि ये गैस है और अभी नहीं तो कुछ वक़्त बाद निकलनी है क्योंकि शरीर ऐसा चाहता है.
इसके अलावा पाद आने की संभावनाएं तब बढ़ जाती हैं जब आंतों की मांसपेशियां उमेठती हैं.
लेकिन क्या ये चिंता का विषय है?
यही वजह है कि जब पेट साफ़ करने जाते हैं तो भी हवा पास होती है.
इसके अलावा कुछ लोगों के मामले में व्यायाम करते वक़्त और खांसते वक़्त भी गैस पास करने की आदत देखी जाती है.
दरअसल, पाद आना कोई चिंता का विषय नहीं है.
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ स्कीम (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक़ हर व्यक्ति पाद मारता है, लेकिन कुछ दूसरों की तुलना में ज़्यादा करते हैं.
आमतौर पर एक व्यक्ति दिन में 20-25 बार पाद मारता है.
अगर किसी को लगता है कि ये आम से कुछ ज़्यादा हो रहा है, तो इस बारे में विचार किया जाना चाहिए. लेकिन क्या इन्हें रोका भी जा सकता है?
खाना-पीना सुधारने की ज़रूरत?
गैस से बचना है तो डाइट को एडजस्ट करने की ज़रूरत है.
अगर आपका शरीर लैक्टोस को पसंद नहीं करता तो डॉक्टर आपको दूध-आधारित सामान कम खाने की सलाह दे सकता है. लैक्टोस सप्लीमेंट इस्तेमाल करने से एंज़ाइम डेयरी उत्पादों को आसानी से पचाने का ज़रिया दे सकते हैं.
गैस को घटाना चाहते हैं तो कार्बोनेटेड बेवरेज भी कम करना होगा.
लेकिन ऐसे हालात होने पर अचानक फ़ाइबर की मात्रा न बढ़ाएं क्योंकि इससे गैस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
लेकिन बदबूदार पाद से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
कम-कम खाया जाए और खाना चबाकर खाया जाए, तो अच्छा है.
इसके अलावा व्यायाम करना ज़रूरी है, क्योंकि उसकी मदद से खाना पचाना आसान होता है. जब आप जल्दी-जल्दी खाते हैं तो ज़्यादा हवा शरीर में जाती है. चहलकदमी करते हुए खाना भी इसलिए मना किया जाता है.
ज़्यादा चुइंगम खाने से भी ये दिक्कत पेश आ सकती है. जो लोग दिन भर चुइंगम चबाते रहते हैं, वो ज़्यादा हवा खींचते हैं, जिससे शरीर में गैस ज़्यादा बनती है.
ऐसा खाना खाने से बचें जो ज़्यादा गैस पैदा करते हैं. इसके लिए कुछ ख़ास कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं, इनमें फ़्रुक्टोज़, लैक्टोज़, इनसॉल्यूबर फ़ाइबर और स्टार्च शामिल हैं. ये सभी चीज़ें आंत में जाती हैं और बाद में खाना पचाने में समस्याएं पैदा करती हैं.
सोडा, बीयर और दूसरे कार्बोनेटेड बेवरेज भी शरीर में गैस बनाने का काम करते हैं. इनमें जो बुलबुले उठते हैं, वो शरीर में जाकर फ़ार्ट में बदल सकते हैं. इनमें से कुछ हवा डाइजेस्टिव ट्रैक्ट तक पहुंच जाती है और रेक्टम के ज़रिए बाहर निकल जाती है. इनके स्थान पर पानी, चाय, वाइन या जूस पिया जा सकता है.
हमारे पाचन तंत्र में ऐसे स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया होते हैं जो खाना पचाने का काम करते हैं. लेकिन इनमें से कुछ हाइड्रोजन गैस को ज़्यादा असरदार तरीके से ख़त्म करते हैं. प्रोबायोटिक फ़ूड ऐसे ही बैक्टीरिया पाए जाते हैं.
Cigarette drinkers also have problems with gas. Apart from this, when the stool remains in the rectum until it is too late, its rot is fixed and then the gas becomes more. This is the reason that stools are worse for stools than usual.
But when to go to the doctor?
It is not a serious matter to walk or to pass too much air. It is altered by a lot of changes in life style or by the usual medicines.
But sometimes it happens that the second sign appears with it.
If all these symptoms are seen then it is advisable to go to the doctor immediately:
Hopefully after reading this blog, if you put a foot in the trunk, then with anger you will understand his problem to some extent.
बहादुर खां: सिसौना
आशकार हुसैन
Fart |
विमान दुबई से नीदरलैंड्स जा रहा था और हालात इतने बिगड़ गए कि बीच ऑस्ट्रिया में उसे उतारना पड़ा. इसे 'पाद अटैक' का नाम दिया गया है. घटना ट्रांसेविया एयरलाइन की एक फ़्लाइट में हुई.
लेकिन इस ख़बर पर हंसने के अलावा उस यात्री के साथ सहानुभूति भी जताई जानी चाहिए, जिसकी वजह से विमान को उतारना पड़ा.
उस शख़्स ने क्योंकि ऐसा जानबूझकर तो किया नहीं होगा.
लेकिन इसका निदान क्या है? फ़ार्ट क्या है? क्या ये इंसानी काबू में आ सकता है? क्या इसे रोका जा सकता है?
हेल्थलाइन के मुताबिक़ पाद, असल में इंटेस्टाइनल गैस निकालने की प्रक्रिया है जिसके फलस्वरूप खाना पचाया जाता है.
इंसान इसलिए पाद मारता है क्योंकि हमारे शरीर में गैस बढ़ती जाती है और इसके कारण ये रहे:
दिन भर हमारे शरीर में हवा जाती रहती है. कार्बोनेटेड बेवरेज के ज़रिए या फिर चबाने के दौरान भी.
इसका एक कारण छोटी आंत में बैक्टीरिया का ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ जाना भी है और इसकी कई वजह हो सकती हैं जिनमें टाइप 2 डायबिटीज़, सेलिआक, लिवर की बीमारी शामिल हैं.
गैस बनने का एक कारण वो कार्बोहाइड्रेट हैं जो पूरी तरह पच नहीं पाते. ऐसा होता है कि छोटी आंत में मौजूद एंज़ाइम सारा खाना पचा नहीं पाते. जब कम पचा हुआ कार्बोहाइड्रेट कोलोन या मलाशय में पहुंचता है, तो बैक्टीरिया उस खाने को हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है.
ये सभी गैसें कहीं न कहीं तो जाएंगी ही. इनमें से कुछ को इंसानी शरीर सोख लेता है. लेकिन जब इसका बड़ा हिस्सा मलाशय के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो जाता है और कोलोन वॉल पर दबाव बढ़ने लगता है तो पेट में दर्द महसूस होता है या फिर छाती में भी दिक्कत होती है.
ऐसे में पाद इन गैसों को शरीर से बाहर निकालने का तरीक़ा है.
और अगर इस गैस को रोकने की कोशिश की जाए तो क्या होता है?
आम तौर पर इन्हें रोकना नहीं चाहिए. रोकने पर हालांकि ज़्यादा नुकसान भी नहीं होता. लेकिन ये जान लेना चाहिए कि ये गैस है और अभी नहीं तो कुछ वक़्त बाद निकलनी है क्योंकि शरीर ऐसा चाहता है.
इसके अलावा पाद आने की संभावनाएं तब बढ़ जाती हैं जब आंतों की मांसपेशियां उमेठती हैं.
लेकिन क्या ये चिंता का विषय है?
यही वजह है कि जब पेट साफ़ करने जाते हैं तो भी हवा पास होती है.
इसके अलावा कुछ लोगों के मामले में व्यायाम करते वक़्त और खांसते वक़्त भी गैस पास करने की आदत देखी जाती है.
दरअसल, पाद आना कोई चिंता का विषय नहीं है.
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ स्कीम (NHS) की वेबसाइट के मुताबिक़ हर व्यक्ति पाद मारता है, लेकिन कुछ दूसरों की तुलना में ज़्यादा करते हैं.
आमतौर पर एक व्यक्ति दिन में 20-25 बार पाद मारता है.
अगर किसी को लगता है कि ये आम से कुछ ज़्यादा हो रहा है, तो इस बारे में विचार किया जाना चाहिए. लेकिन क्या इन्हें रोका भी जा सकता है?
खाना-पीना सुधारने की ज़रूरत?
गैस से बचना है तो डाइट को एडजस्ट करने की ज़रूरत है.
अगर आपका शरीर लैक्टोस को पसंद नहीं करता तो डॉक्टर आपको दूध-आधारित सामान कम खाने की सलाह दे सकता है. लैक्टोस सप्लीमेंट इस्तेमाल करने से एंज़ाइम डेयरी उत्पादों को आसानी से पचाने का ज़रिया दे सकते हैं.
गैस को घटाना चाहते हैं तो कार्बोनेटेड बेवरेज भी कम करना होगा.
लेकिन ऐसे हालात होने पर अचानक फ़ाइबर की मात्रा न बढ़ाएं क्योंकि इससे गैस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं.
लेकिन बदबूदार पाद से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
कम-कम खाया जाए और खाना चबाकर खाया जाए, तो अच्छा है.
इसके अलावा व्यायाम करना ज़रूरी है, क्योंकि उसकी मदद से खाना पचाना आसान होता है. जब आप जल्दी-जल्दी खाते हैं तो ज़्यादा हवा शरीर में जाती है. चहलकदमी करते हुए खाना भी इसलिए मना किया जाता है.
ज़्यादा चुइंगम खाने से भी ये दिक्कत पेश आ सकती है. जो लोग दिन भर चुइंगम चबाते रहते हैं, वो ज़्यादा हवा खींचते हैं, जिससे शरीर में गैस ज़्यादा बनती है.
ऐसा खाना खाने से बचें जो ज़्यादा गैस पैदा करते हैं. इसके लिए कुछ ख़ास कार्बोहाइड्रेट ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं, इनमें फ़्रुक्टोज़, लैक्टोज़, इनसॉल्यूबर फ़ाइबर और स्टार्च शामिल हैं. ये सभी चीज़ें आंत में जाती हैं और बाद में खाना पचाने में समस्याएं पैदा करती हैं.
सोडा, बीयर और दूसरे कार्बोनेटेड बेवरेज भी शरीर में गैस बनाने का काम करते हैं. इनमें जो बुलबुले उठते हैं, वो शरीर में जाकर फ़ार्ट में बदल सकते हैं. इनमें से कुछ हवा डाइजेस्टिव ट्रैक्ट तक पहुंच जाती है और रेक्टम के ज़रिए बाहर निकल जाती है. इनके स्थान पर पानी, चाय, वाइन या जूस पिया जा सकता है.
हमारे पाचन तंत्र में ऐसे स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया होते हैं जो खाना पचाने का काम करते हैं. लेकिन इनमें से कुछ हाइड्रोजन गैस को ज़्यादा असरदार तरीके से ख़त्म करते हैं. प्रोबायोटिक फ़ूड ऐसे ही बैक्टीरिया पाए जाते हैं.
Cigarette drinkers also have problems with gas. Apart from this, when the stool remains in the rectum until it is too late, its rot is fixed and then the gas becomes more. This is the reason that stools are worse for stools than usual.
But when to go to the doctor?
It is not a serious matter to walk or to pass too much air. It is altered by a lot of changes in life style or by the usual medicines.
But sometimes it happens that the second sign appears with it.
If all these symptoms are seen then it is advisable to go to the doctor immediately:
- Pain
- dizziness
- Vomiting
- Diarrhea
Hopefully after reading this blog, if you put a foot in the trunk, then with anger you will understand his problem to some extent.
बहादुर खां: सिसौना
आशकार हुसैन