स्वच्छता की मिसाल है हरियाली से घिरा सिसौना गांव !
गांव सिसौना |
आज हम बात कर रहे हैं संभल से महज पैंतालीस किलो मीटर दूर सिसौना गाँव की ! सिसौना, संभल लोकसभा का एक छोटा सा गाँव है जो कि तहसील बिलारी और मुरादाबाद ज़िले में आता है और बिलारी से शाहबाद जाने वाली रोड पर खरसोल गाँव से ३ किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित है! संभल के वर्तमान सांसद डॉ शफीकुर रहमान बर्क़ हैं जो कि बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं वह न केवल उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री रह चुके हैं बल्कि ३ बार मुरादाबाद लोकसभा के और अब तीसरी बार संभल लोकसभा के सांसद हैं! सिसौना गाँव पर उनकी विशेष कृपा दृष्टि रही है! खरसोल से सिसौना की सड़क और गाँव के भीतर भी उन्होंने कई विकास के कार्य करवाएं हैं ! आने वाले समय में उनकी इस गाँव को और विकसित करने की योजना है !
खरसोल, चौकोनी, तारापुर, गंगपुर, कासमपुर, नयागांव, सायगढ, अबुसैदपुर, अहलादपुर, रायपुर, समथल, जसरथपुर, स्योंडारा, देवीपुरा और बड़ागांव जैसे गांव सिसौना के इर्द गिर्द आते हैं! इन सभी गांव के बीच सिसौना एकमात्र मुस्लिम बहुल गांव है! जो तारिख के मुताबिक १८०० ईस्वी से पूर्व ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में अली हुसैन के पुत्र बहादुर खां द्वारा बसाया गया!
बहादुर खां ने सिसौना क्षेत्र क्यूं चुना होगा ? इसको लेकर भी लोगो की अलग-अलग थ्योरी हैं गांव के कुछ बुजुर्गों की माने तो चरवाहों और पशुपालन की असानी हेतु उन्होंने ये भूढ़ का इलाका पसंद किया होगा! रायपुर गांव की थ्योरी के अनुसार, पुराने समय में सैलाब और बाढ़ का खतरा भी काफी होता था तो लोग रहने के लिए ऐसी जगह भी चुनते थे जहाँ इस प्रकार के खतरे न हों! रायपुर गांव में उस समय काफी सैलाब आदी आते थे तो वो लोग सिसौना आकर अपने पशुओं को बांध जाया करते थे वहीँ दूसरी तरफ गांव के कुछ वरिष्ठ लोग यह भी मानते हैं कि १८०० ईस्वी से पूर्व ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में, तुर्कों और अंग्रेजों में तनातनी का माहोल था जिस वजह से उन्होंने ये मुख्य मार्ग व ब्रिटिश कार्यालयों से दूर उस समय के घने जंगली वातावरण को अपनी परिस्थितियों के अनुकूल पाया होगा ! बहरहाल इन अटकलों की वास्तविकता का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है!
बहादुर खां के कई पुत्र थे उनके सबसे बड़े पुत्र का नाम मौलवी इनायत अली खां और सबसे छोटे पुत्र का नाम रहमत अली खां था! रहमत अली खां एक इस्लामिक विद्वान थे! रहमत अली खां के पुत्र, बुलाकी नम्बरदार (अख्तर हसन) के नाम से इलाक़े में मशहूर हुए ! जो कि उस समय ५०० बीघा ज़मीन के मालिक थे और एक प्रसिद्ध हकीम और इस्लामिक विद्वान थे! वहीं दूसरी तरफ बहादुर खां के दूसरे पुत्र मौलवी इनायत अली खां थे जो १८०० बीघा ज़मीन के मालिक थे!
बहादुर खां ने सिसौना क्षेत्र क्यूं चुना होगा ? इसको लेकर भी लोगो की अलग-अलग थ्योरी हैं गांव के कुछ बुजुर्गों की माने तो चरवाहों और पशुपालन की असानी हेतु उन्होंने ये भूढ़ का इलाका पसंद किया होगा! रायपुर गांव की थ्योरी के अनुसार, पुराने समय में सैलाब और बाढ़ का खतरा भी काफी होता था तो लोग रहने के लिए ऐसी जगह भी चुनते थे जहाँ इस प्रकार के खतरे न हों! रायपुर गांव में उस समय काफी सैलाब आदी आते थे तो वो लोग सिसौना आकर अपने पशुओं को बांध जाया करते थे वहीँ दूसरी तरफ गांव के कुछ वरिष्ठ लोग यह भी मानते हैं कि १८०० ईस्वी से पूर्व ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में, तुर्कों और अंग्रेजों में तनातनी का माहोल था जिस वजह से उन्होंने ये मुख्य मार्ग व ब्रिटिश कार्यालयों से दूर उस समय के घने जंगली वातावरण को अपनी परिस्थितियों के अनुकूल पाया होगा ! बहरहाल इन अटकलों की वास्तविकता का हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है!
बहादुर खां के कई पुत्र थे उनके सबसे बड़े पुत्र का नाम मौलवी इनायत अली खां और सबसे छोटे पुत्र का नाम रहमत अली खां था! रहमत अली खां एक इस्लामिक विद्वान थे! रहमत अली खां के पुत्र, बुलाकी नम्बरदार (अख्तर हसन) के नाम से इलाक़े में मशहूर हुए ! जो कि उस समय ५०० बीघा ज़मीन के मालिक थे और एक प्रसिद्ध हकीम और इस्लामिक विद्वान थे! वहीं दूसरी तरफ बहादुर खां के दूसरे पुत्र मौलवी इनायत अली खां थे जो १८०० बीघा ज़मीन के मालिक थे!
इनायत अली खां के पुत्र मोहम्मद हुसैन के ४ बेटे थे जिनमे से सबसे बड़े मौलाना अनवार हुसैन, ननिहाल की जायदाद सँभालने के लिए पीपलसाना जाकर बस गए थे! मोहम्मद हुसैन के दूसरे बेटे ठेकेदार अबरार हुसैन के नाम से सिसौना इलाक़े में मशहूर हुए! ठेकेदार अबरार हुसैन अपने समय, इलाक़े के इकलौते लाइसेंसदार थे और ३०० बीघा ज़मीन के मालिक थे! वह जिला परिषद् के सदस्य भी मनोनीत हुए थे!
मोहम्मद हुसैन जो पेशे से अपनी खेती बाड़ी देखते थे और दिनी तालीम लेने पर उनका खास ध्यान था उनके बाकी पुत्रों में बहार हुसैन व निसार हुसैन थे, इनमे बहार हुसैन मिजाज़ से काफी सीधे और सरल इंसान थे जबकि निसार हुसैन मिजाज़ से तेज़ और चतुर इंसान थे! बहार हुसैन के भी दो पुत्र हुए - मुंशी ज़ुल्फ़िकार हुसैन और मुंशी अंसार हुसैन! इनके बारे में विस्तार से हम अपने अगले लेख में प्रकाश डालेंगे !
गांव के तालाब किनारे मस्ती करते बच्चे |
अगर गाँव की बात की जाए तो गाँव की कुल आबादी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक १२०० होगी जिसमे पिछले तीन सौ वर्ष में काफी विकास कार्य संपन्न हुए हैं ! भौगोलिक रूप से सिसौना, चारों ओर जंगल और हरियाली के बीच बसा हुआ गांव है! गांव के किनारे पूर्व की और सुंदर और आकर्षक तालाब है जिसमें मछली पालन भी किया जाता है ! तालाब का पानी साफ होने की वजह से मछलियां दूर से ही तैरती हुई साफ़ दिखाई देती हैं!
अपने चारों ओर भीषण हरियाली की वजह से यहाँ Air Quality Index Rate काफी अच्छा रहता है ! अपने चारों और भूँडो का क्षेत्र और जंगली वातावरण होने के कारण गांव के आस-पास भारी संख्या में नीलगाय, मोर व जंगली हिरण पाए जाते हैं ! जो की इस इलाके की खूबसूरती को और आकर्षक करते हैं
अपने चारों ओर भीषण हरियाली की वजह से यहाँ Air Quality Index Rate काफी अच्छा रहता है ! अपने चारों और भूँडो का क्षेत्र और जंगली वातावरण होने के कारण गांव के आस-पास भारी संख्या में नीलगाय, मोर व जंगली हिरण पाए जाते हैं ! जो की इस इलाके की खूबसूरती को और आकर्षक करते हैं
आखिरी बार यहाँ air quality rate -74 US AQI नोट किया गया था! और आस पास कोई फ़ैक्टरी नहीं होने की वजह से प्रदूषण का स्तर न के बराबर है! सिसौना गाँव में बहुत से ऐसे किसान हैं जो परंपरागत खेती को छोड़, वैज्ञानिक खेती तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और इस नई तकनीक से खेती-किसानी की न सिर्फ तस्वीर बदल रहे हैं बल्कि अपनी तकदीर भी | वर्तमान में गांव के किसान धान, गेहूं और बाजरा की फसल के साथ साथ गन्ना, प्याज, टमाटर, गोभी, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, ब्रोकली, फूल गोभी, जिमीकंद, अफ्रीका और नांबिया की अरहर, हल्दी, अरबी, बीन्स, आम, अमरूद, स्ट्राबेरी और ड्रेगन फ़्रूट की खेती कर रहे हैं और कई ऐसे किसान भी हैं जो कामयाबी की इबारत लिखने में मशगूल हैं !
बहादुर खां : सिसौना