आख़िर क्यों आरिफ को पसंद करती है बीजेपी ?
तीन तलाक पर आरिफ मोहम्मद खान का बयान बीजेपी के लिए हमेशा ढाल बना रहा. क़ुरान एंड कंटेम्पोरेरी चैलेंजेज नामक बेस्ट सेलर किताब लिख चुके आरिफ के बयानों के ज़रिए बीजेपी ने कई मौकों पर यह जताने की कोशिश की कि तीन तलाक का क़ानून मुस्लिमों के खिलाफ नहीं बल्कि मुस्लिमों के हित में लाया गया है.
आरिफ खान को बीजेपी में पसंद करने के पीछे उनका कांग्रेस पर तमाम संदर्भों और मजहबी कट्टरता पर तर्कों और दृष्टान्तों से हमला करने की स्टाइल है.बीजेपी को लगता है कि आरिफ मोहम्मद खान एक प्रगतिशील चेहरा हैं. उनके बयान पार्टी की राजनीति के फ़ेवर में जाते हैं. उन्हें साथ जोड़कर मुस्लिम विरोधी छवि को तार-तार भी किया जा सकता है. आरिफ को गवर्नर बनाकर बीजेपी संदेश देना चाहती है कि वह राष्ट्रवादी और प्रगतिशील मुस्लिम चेहरों को आगे बढ़ाने की पक्षधर भी है. केरल में पार्टी के विस्तार में भी आरिफ मददगार साबित हो सकते हैं.
प्रारम्भिक जीवन :
खान का बचपन मोहम्मदपुर बरवाला में बीता। गांव के लोग बताते हैं कि सन 1961 में दौलतपुर कलां के प्राथमिक विद्यालय से उन्होंने पांचवीं पास की थी। इसके बाद नरसेना गांव स्थित जीएस इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में पिता के साथ राजनीति में कदम रखा। खान के पिता अशफाक मोहम्मद खान 1972 से 1982 तक गांव के प्रधान रहे। इसके बाद उनके छोटे भाई गालिब खान 1982 से 1988 तक प्रधान रहे।
उनके राज्यपाल बनने की सूचना ने जहां क्षेत्र वासियों को खुशी से भर दिया, वहीं उनके बचपन की यादें भी जनपद की हवाओं में तैर गई। उनके परिचितों ने उन्हें फोन पर बधाई दी। ग्रामीणों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया
आरिफ खान को बीजेपी में पसंद करने के पीछे उनका कांग्रेस पर तमाम संदर्भों और मजहबी कट्टरता पर तर्कों और दृष्टान्तों से हमला करने की स्टाइल है.बीजेपी को लगता है कि आरिफ मोहम्मद खान एक प्रगतिशील चेहरा हैं. उनके बयान पार्टी की राजनीति के फ़ेवर में जाते हैं. उन्हें साथ जोड़कर मुस्लिम विरोधी छवि को तार-तार भी किया जा सकता है. आरिफ को गवर्नर बनाकर बीजेपी संदेश देना चाहती है कि वह राष्ट्रवादी और प्रगतिशील मुस्लिम चेहरों को आगे बढ़ाने की पक्षधर भी है. केरल में पार्टी के विस्तार में भी आरिफ मददगार साबित हो सकते हैं.
बीते 18 अगस्त की बात है. नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बीजेपी थिंक टैंक श्यामा प्रसाद मुकर्जी फ़ाउंडेशन ने तीन तलाक पर व्याख्यान रखा था. मुख्य अतिथि थे बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह. अमित शाह ने तब कहा था कि क़ानून बनने के बाद पहली बार वह तीन तलाक पर बोल रहे हैं.
चर्चा की शुरुआत में ही अमित शाह ने आरिफ़ मोहम्मद खान की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा, “मैं आरिफ़ मुहम्मद खान को सभी की तरफ से बधाई देना चाहता हूँ जो मुसलमान होकर भी तीन तलाक़ के खिलाफ बोलते रहे. एक अकेला बंदा राजीव गांधी सरकार के फ़ैसले के खिलाफ खड़ा रहा. आज भी वो तीन तलाक़ पर मुखर होकर बोलते रहते हैं.
अमित शाह की इस तारीफ के बाद अटकलें लगने लगीं थीं कि सरकार आगे चलकर आरिफ़ मोहम्मद खान को कोई अहम जिम्मेदारी देकर उनके प्रगतिशील चेहरे का उपयोग कर सकती है. माना जा रहा था कि आरिफ को लेकर अमित शाह ने जो तारीफ की है वो बेसबब नहीं है. उस वक्त चर्चाएँ थीं कि बीजेपी प्रगतिशील चेहरे आरिफ मोहम्मद खान को पार्टी का चेहरा बना सकती है. उन्हें पीएम मोदी अपनी कैबिनेट में ले सकते हैं. या फिर अल्पसंख्यकों के कल्याण से जुड़े किसी मिशन पर लगा सकते हैं. आख़िरकार मोदी सरकार ने उन्हें केरल के राज्यपाल पद से नवाज़ा है !
बीते 25 जून को लोकसभा में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहबानो केस के बहाने कांग्रेस को घेरते समय मुस्लिमों को लेकर गटर वाला बयान दिया तो अचानक आरिफ मोहम्मद खान मीडिया की सुर्खियों में आ गए. पीएम मोदी ने बग़ैर आरिफ का नाम लिए उनके पुराने इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा था कि कांग्रेस के एक मंत्री ने खुद कहा है कि कांग्रेस यह मानती है मुसलमानों के उत्थान की जिम्मेदारी उसकी नहीं है, अगर वो गटर में पड़े रहना चाहते हैं तो पड़े रहने दो. दरअसल गटर वाली बात नरसिम्हा राव ने आरिफ मोहम्मद खान से कही थी. पीएम मोदी के इस ज़िक्र के बाद लंबे अरसे बाद आरिफ मोहम्मद खान मेनस्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में छा गए.
बीते 25 जून को लोकसभा में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहबानो केस के बहाने कांग्रेस को घेरते समय मुस्लिमों को लेकर गटर वाला बयान दिया तो अचानक आरिफ मोहम्मद खान मीडिया की सुर्खियों में आ गए. पीएम मोदी ने बग़ैर आरिफ का नाम लिए उनके पुराने इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा था कि कांग्रेस के एक मंत्री ने खुद कहा है कि कांग्रेस यह मानती है मुसलमानों के उत्थान की जिम्मेदारी उसकी नहीं है, अगर वो गटर में पड़े रहना चाहते हैं तो पड़े रहने दो. दरअसल गटर वाली बात नरसिम्हा राव ने आरिफ मोहम्मद खान से कही थी. पीएम मोदी के इस ज़िक्र के बाद लंबे अरसे बाद आरिफ मोहम्मद खान मेनस्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में छा गए.
प्रारम्भिक जीवन :
खान का बचपन मोहम्मदपुर बरवाला में बीता। गांव के लोग बताते हैं कि सन 1961 में दौलतपुर कलां के प्राथमिक विद्यालय से उन्होंने पांचवीं पास की थी। इसके बाद नरसेना गांव स्थित जीएस इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में पिता के साथ राजनीति में कदम रखा। खान के पिता अशफाक मोहम्मद खान 1972 से 1982 तक गांव के प्रधान रहे। इसके बाद उनके छोटे भाई गालिब खान 1982 से 1988 तक प्रधान रहे।
उनके राज्यपाल बनने की सूचना ने जहां क्षेत्र वासियों को खुशी से भर दिया, वहीं उनके बचपन की यादें भी जनपद की हवाओं में तैर गई। उनके परिचितों ने उन्हें फोन पर बधाई दी। ग्रामीणों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया