संभल की जामा मस्जिद को लेकर क्या है विवाद ? और कैसा है शहर का माहौल ?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल शहर संभल के केंद्र में एक ऊंचे टीले पर बनी शाही जामा मस्जिद आस-पास की सबसे बड़ी इमारत है.
मस्जिद के मुख्य द्वार के सामने अधिकतर हिंदू लोग रहते हैं जबकि इसकी पिछली दीवार के चारों तरफ़ मुसलमान आबादी है.
अब यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और मस्जिद के पास लोगों को आने से रोका जा रहा है. हालांकि, मस्जिद में तय वक़्त पर नमाज़ हो रही है.
सदियों पुरानी ये मस्जिद अब एक क़ानूनी विवाद के केंद्र में आ गई है.
दरअसल, इस संभल शाही जामा मस्जिद के हिंदू मंदिर होने का दावा कर अदालत में वाद दायर किया गया है, जिसके बाद इस धर्मस्थल को लेकर क़ानूनी विवाद पैदा हो गया है.
ये वाद मंगलवार को ही दायर हुआ और इसी दिन शाम को एडवोकेट कमिश्नर ने पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में मस्जिद का सर्वे किया.
क़रीब दो घंटे चले इस सर्वे के दौरान ज़िलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक संभल भी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे. पूरी कार्रवाई की तस्वीरें ली गई हैं और वीडियो भी बनाए गए हैं.
वहीं, मस्जिद समिति का कहना है कि उन्हें वाद दायर होने की कोई जानकारी नहीं मिली थी और अदालत के आदेश के बाद ही ज़िला पुलिस और प्रशासन की तरफ़ से सर्वे को लेकर जानकारी दी गई.
वहीं, याचिकाकर्ता महंत ऋषिराज गिरी ने बीबीसी से कहा, “हमारा ये यक़ीन है कि जिस जगह पर ये मस्जिद है वहां हरिहर मंदिर था, इसकी बनावट भी मंदिर जैसी ही है, हम अपने धर्मस्थल को वापस हासिल करना चाहते हैं और इसके लिए ही क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.”
सर्वे टीम मंगलवार शाम क़रीब छह बजे मस्जिद परिसर पहुंची थी. मस्जिद में सर्वे कार्रवाई की जानकारी होने के बाद स्थानीय सांसद ज़िया उर रहमान बर्क़ के अलावा कई और मुस्लिम नेता मस्जिद पहुंच गए थे.
हालांकि इस दौरान कोई प्रदर्शन या विवाद नहीं हुआ. संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने बीबीसी से कहा, “अदालत के आदेश पर पुलिस बल की मौजूदगी में सर्वे पूरा हुआ, इस दौरान कोई अव्यवस्था नहीं हुई. सुरक्षा के नज़रिए से मस्जिद परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.”
पुलिस अधीक्षक के मुताबिक़, शहर का माहौल बिलकुल शांत है और स्थिति नियंत्रण में है. हालांकि पुलिस अहतियात बरत रही है.
वहीं, मस्जिद समिति से जुड़े अधिवक्ता ज़फ़र अली बताते हैं, “मस्जिद में सामान्य रूप से नमाज़ पढ़ी जा रही है और किसी तरह का कोई तनाव नहीं है. एहतियात के तौर पर पुलिस बल तैनात हैं.”
अदालत में इस मामले में अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को होगी. अदालत ने इससे पहले एडवोकेट कमिश्नर से रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है.
ज़फ़र अली कहते हैं, “हम क़ानूनी रूप से जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं. ये विवाद बेवजह पैदा किया गया है और अदालत में यह टिक नहीं पाएगा.”
Source (BBC NEWS HINDI)